Friday, 24 December 2010

दैनंदिन प्रार्थना - १

सकाळी म्हणावयाचे श्लोक व प्रार्थना:

करदर्शनम् (उठल्या उठल्या हात पाहून म्हणावयाचा श्लोक)
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमुले सरस्वती।
करमध्ये तू गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम्।।

पृथ्वीला वंदन (जमिनीवर पाय ठेवण्याआधी म्हणण्याचा श्लोक)
समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमंडले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे।।

सुप्रभातीची प्रार्थना
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरांतकारी
भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे ममसुप्रभातम्॥

गुरुवंदना
गुरुर्बह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु: साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः॥

श्रीकृष्ण वंदना
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणुरमर्दनम्।
देवकीपरमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्॥

माधव वंदना
मूकं करोती वाचालं पङगुं लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वंदे परमानंदमाधवम्॥

देवी वंदना
नमो देव्यै महादैव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म् ताम्॥

दात घासताना करावयाची वनस्पतींची प्रार्थना
आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजा: पशुन् वसूनि च।
बह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते॥

नामसंकीर्तन
पुण्यश्लोको नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः।
पुण्यश्लोका च वैदेही पुण्यश्लोको जनार्दनः॥

सप्तचिरंजीव स्मरण
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणा:।
कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥

पंचकन्या स्मरण
अहल्या दौपदी सीता तारा मंदोदरी तथा।
पच्ञकं ना स्मरेनित्यं महापातकनाशनम्॥

सप्त मोक्षपुरी स्मरण
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायका॥

नारायण वंदन
नारायणं निराकारं नरवीरं नरोत्तमंम्।
नृसिंहं नागनाथं च तं वंदे नरकान्तकम्॥

श्रीरामवंदन
राघवं रामचंद्रं च रावणारिं रमापतीम्।
राजीवलोचनं रामं तं वंदे रघुनन्दनम्॥

तुलसी वंदन
तुलसि श्रीसखि शिवे पापहारिणि पुण्यदे।
नमस्ते नारदनुते नमो नारायणप्रीये॥
सप्तनदी वंदन (स्नान करताना करावयाचे आवाहन)
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेsस्मिन् सन्निधिं कुरु॥

मंगल कामना
गंगा सिंधु सरस्वती च यमुना गोदावरी नर्मदा
कावेरी सरयु महेन्द्रतनया चर्मण्वती वेदिका।
क्षिप्रा वेत्रवती महासुरनदी ख्याता जया गंडकी
पुर्णा: पुर्णजलै: समुद्रसहिता: कुर्वन्तु मे मंगलम्॥

गंगामातेला नमस्कार
नमामि गग्ङे। तव पादपंकजं
सुरासुरैर्वन्दितदिव्यरूपम्।
भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यं
भावानुसारेण सदा नराणाम्॥

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